दक्षिण की ओर मोदी की निगाहें

आलोक सिंह

आईआईएमसी, दिल्ली

लोकसभा चुनाव की तारीखों के एलान के बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है। एक तरफ उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है तो दूसरी तरफ रैलियां और रोड शोज भी होने शुरू हो गए हैं। पार्टियां अपनी अपनी रणनीति के अनुसार चुनावी कदमताल कर रही हैं। लेकिन इन सब के बीच प्रधानमंत्री मोदी की निगाहें भाजपा के लिए बंजर रही दक्षिण को जीतने पर है। जिस प्रकार से मोदी धड़ाधड़ रैलियां और रोड शोज कर रहे हैं, उससे तो यहीं लगता है कि वह ‘भाजपा केवल उत्तर भारत की पार्टी है’ वाले कलंक को अपने ही कार्यकाल में धो देना चाहते हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी लगातार दक्षिण भारत के राज्यों में दिन गुजार रहे हैं। पिछले ढ़ाई महीने में 23 दिन वह केरल, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश घूमते रहे। अभी तक केरल के पांच और तमिलनाडु के 6 चक्कर लगा चुके हैं। आने वाले दिनों में वह फिर इन राज्यों में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बीजेपी इस बार इन पांच राज्यों में अपनी सीट दोगुनी करना चाहती है।

भारत के दक्षिणी भाग में लोकसभा की सीटों की बात करें तो तमिलनाडु में 39, केरल में 20, कर्नाटक में 28, आंध्र प्रदेश में 25 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं। वर्तमान में तेलंगाना में भाजपा के 4 सांसद हैं तो कर्नाटक में 25।

आइए जानते हैं क्या है दक्षिण का हाल

तमिलनाडु में जनाधार बढ़ने के हैं आसार

कुल सीट –39

प्रधानमंत्री मोदी तमिलनाडु में अब तक छह मेगा शो कर चुके हैं। इस बार बीजेपी ने तमिलनाडु में पांच क्षेत्रीय दलों से समझौता किया है। तमिल मनीला कांग्रेस, अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम, इंडिया जनज्ञ काच्चि, न्यू जस्टिस पार्टी और तमिझा मक्कल मुनेत्र कड़गम बीजेपी के पांच नए दोस्त बने हैं। इससे पहले बीजेपी एआईएडीएमके के साथ मिलकर चुनाव लड़ी है। 2014 में 9 सीटों में एक सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी, जबकि 3 सीटों पर नंबर टू रही थी।

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई की 100 दिनों की पदयात्रा और त्रिकोणीय मुकाबले से बीजेपी बड़ी जीत की तैयारी कर रही है। पीएम मोदी तमिलनाडु में छह बार चुनावी यात्रा कर इस वोट बैंक को मजबूत कर रहे हैं। दरअसल बीजेपी तमिलनाडु में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए कई साल से मेहनत कर रही है। वाराणसी में तमिल संगमम जैसे आयोजनों से बीजेपी ने अपनी हिंदी समर्थक छवि बदलने की कोशिश की है।

केरल की कहानी

कुल सीट – 20

केरल में बीजेपी का ट्रैक रेकॉर्ड अच्छा नहीं रहा है। उसके लिए राहत की खबर यह रही कि बीजेपी का वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई। पिछले दो चुनावों में बीजेपी सिर्फ तिरुवनंतपुर सीट पर ही दूसरे नंबर पर रही। 2014 में 18 सीटों पर चुनाव लड़ने के बाद 10.5 फीसदी वोट मिले थे। 2019 में 15 सीट पर ताल ठोकने के बाद 13.3 फीसदी वोट मिले थे। 2021 के विधानसभा चुनाव में भी बीजेपी को 14 प्रतिशत वोट मिले। इस बार पीएम मोदी ने अपनी रणनीति बदली है। वह 18 फीसदी वाले क्रिश्चिचन आबादी को साधने के लिए केरल यात्रा के दौरान विशप से मिले। मुसलमानों को जोड़ने के लिए निकाय चुनाव में 110 मुस्लिम कैंडिडेट उतारे। मजबूत दावेदारी के लिए अभिनेता सुरेश गोपी और केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर को भी मैदान में उतारा है। त्रिशूर, पथानामथिट्टा, कासरगोर, तिरुवनंतपुरम और अट्टिंगल ऐसी पांच सीटें हैं, जहां बीजेपी को जीत की उम्मीद है।

आंध्र प्रदेश में चंद्राबाबू नायडू और पवन कल्याण से है गठबंधन

कुल सीट–25

पिछले चुनाव में टीडीपी के चंद्राबाबू नायडू के अलग होकर लड़ने के कारण भाजपा शून्य पर पहुंच गई थी वहीं, 2014 में साथ होने से 2 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा 8 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और साथ में तेलगु स्टार पवन कल्याण की जनसेना भी है।

तेलंगाना

कुल सीट – 17

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 4 सीटें जीती थी और मत प्रतिशत लगभग 6 प्रतिशत था। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को लगभग इसका दोगुना मत प्रतिशत मिला। पार्टी को यहां से बहुत उम्मीदें हैं। हाल ही में मोदी ने राजधानी हैदराबाद में रोड शो भी किया था।

कर्नाटक

कुल सीट–28

कर्नाटक में भगवा पार्टी की जमीन पहले से मजबूत है। पिछले आम चुनाव में 51 प्रतिशत मत के साथ भाजपा 28 में से 25 सीटें जीती थी। वहीं 2014 में 43 प्रतिशत मत के साथ 17 सीटें जीती थी। इस बार बीजेपी जेडी(एस) का गठबंधन है। इसलिए 2019 के परिणामों की पुनरावृति की संभावना है।

ध्यान रहे कि हाल ही में तेलंगाना और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने प्रचंड जीत हासिल की है। अब सवाल यह है कि मोदी के दक्षिण फतह के उम्मीद पर जनता मुहर लगाएगी या मोदी हांथ मलते रह जायेंगे?

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