अभि‘नेता’ चुनावी मैदान में हैं!

सितारों की महफिल में करके इशारा,

कहा अब तो सारा जगत है तुम्हारा

राजनीति जवां हो, खुला आसमां हो

तो बने एमपी, एमएलए, नेता और क्या

ये चुनावें, ये जनता, लोकतंत्र का किनारा........

मौसम में तापमान का और चुनावी माहौल में दल–बदल का होना बढ़ता ही जा रहा है। समाचार–पत्रों में हर दिन कोई एक खबर कि फलाने भाजपा में शामिल(कभी–कभी कांग्रेस में शामिल), इसकी पुष्टि करता है।

ध्यान देने वाली बात यह है कि राजनीति में किस्मत आजमाने वाले अभिनेताओं/अभिनेत्रियों की फेहरिस्त भी लंबी होती चली जा रही है। आजादी के बाद से ही पर्दे के सितारों ने सियासत की सरजमीं पर किस्मत आजमाई है और सफलता भी पाई है। भारत के दक्षिण भाग में तो सफलता के साथ सरकार भी चलाई है–तमिलनाडु में एमजी रामाचंद्रन और जयललिता तो वहीं आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव ने।

एक फेहरिस्त देखी जाए कि कितने फिल्मी कलाकार हैं जो राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं, तो यह फेहरिस्त बहुत लंबी होगी। नीचे विकिपीडिया का लिंक दिया हुआ है, इसपर क्लिक करके देखा जा सकता है कि अंग्रजी वर्णमाला के 6 अक्षरों को छोड़कर E, F ,O, Q, W aur Z, लगभग सभी अक्षरों से कोई न कोई ऐसे अभीनेता मिलेंगे जो नेतागिरी में किस्मत आजमाएं हुए हैं।

24 के चुनाव में भी फिल्मी कलाकारों ने मैदान में ताल ठोक दिया है। भाजपा के खेमे से स्मृति ईरानी का नाम सबसे ऊपर है।अभी तक भाजपा द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूचियों के मुताबिक हेमा मालिनी, रविकिशन, मनोज तिवारी, दिनेश लाल यादव, कंगना रनौट और अरुण गोविल को भाजपा ने टिकट दे दिया है तो वहीं टीएमसी ने सयानी घोष, जून मालिया, दीपक अधिकारी, शताब्दी राय, रचना बनर्जी और शत्रुघ्न सिन्हा को उम्मीदवार घोषित किया है। उत्तर भारत में पार्टियों का दामन थाम कर चुनावी वैतरणी को पार करने की परंपरा है तो वहीं दक्षिण में तो पार्टी में शामिल होने के स्थान पर पार्टी बनाने की परंपरा है।

दक्षिण भारत के अभिनेता जिनकी अपनी पार्टी है। PC– tollywood.net

राजनीतिक पार्टियों द्वारा अभी कई लिस्ट आने बाकी हैं। यह लेख लिखने तक खबर यह भी है कि गोविंदा ने शिव सेना(शिंदे गुट) को ज्वाइन कर लिया है। अभी नवनीत राणा, परेश रावल समेत कई नाम पर मुहर लगना भी बाकी है। तो आप दिल थाम के बैठिए क्योंकि अभि‘नेता’ चुनावी मैदान में है।

सितारों की महफिल में करके इशारा,

कहा अब तो सारा जगत है तुम्हारा

राजनीति जवां हो, खुला आसमां हो

तो बने एमपी, एमएलए, नेता और क्या

ये चुनावें, ये जनता, लोकतंत्र का किनारा........

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