लक्षद्वीप का लक्ष्य

आलोक सिंह

आईआईएमसी, दिल्ली

लक्ष्यद्वीप का लक्ष्य

हालिया घटना से आप परिचित होंगे ही। अभी कुछ दिन पहले भारतीय प्रधानमंत्री लक्षद्वीप जाते हैं, उधर मालदीव के कुछ मंत्रियों द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी की जाती है और कुछ समय बाद वह निष्कासित कर दिए जाते हैं। ट्विटर पर पूरे दिन ‘बायकॉट मालदीव’ ट्रेंड कर रहा था। लक्ष्यद्वीप के समर्थन में भारतीय सितारों सहित बहुत लोगों ने ट्वीट किया। लक्षद्वीप को गूगल पर इतना सर्च किया गया कि वह बीते 20 वर्षों का उच्चतम स्तर का रिकॉर्ड है।

गूगल पर सर्च, ट्विटर पर ट्रेंड और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लक्षद्वीप का छा जाना क्षणिक और अचानक हो सकता है। लेकिन मोदी का लक्षद्वीप जाना पूर्व नियोजित था।

अब मालदीव और लक्षद्वीप के बीच तुलना तो होने ही लगी है। लेकिन इसमें कोई दो मत नहीं कि मालदीव लक्षद्वीप की तुलना में कई गुना आगे है। मालदीव में 1000 से ऊपर द्वीप हैं तो वहीं लक्षद्वीप में मात्र 36। मालदीव में ‘वन आइलैंड वन रिजॉर्ट’ का फॉर्मूला है यानी हर द्वीप में एक नए प्रकार का रिजॉर्ट और व्यवस्थाएं उपलब्ध है तो वहीं भारत में ऐसा कोई सिस्टम नहीं है। यहीं कारण है कि मालदीव की जीडीपी का 28 प्रतिशत हिस्सा पर्यटन से आता है।

एक आंकड़े के मुताबिक मालदीव जाने वाले विदेशी पर्यटकों में 23 प्रतिशत भारत के होते हैं। ऐसे में मालदीव के दृष्टि से भारत का महत्व समझा जा सकता है।

इसलिए लक्षद्वीप को नया और सुदृढ़ योजना बनाकर मालदीव में उपलब्ध व्यवस्थाओं से बेहतर करना होगा।और लक्षद्वीप को मालदीव का विकल्प बनाना होगा। तभी सितारों और हस्तियों के ट्वीट को जमीन पर उतारा जा सकता है। लक्षद्वीप का लक्ष्य कूटनीतिक, सामरिक और पर्यटन के दृष्टि से बेहद अहम है। लक्षद्वीप को साधा जाए।

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